class 12 प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities) notes in hindi

 

प्राथमिक क्रियाएँ
 यह अध्याय प्राथमिक क्षेत्र से संबंधित क्रियाओ से परिचित कराता है. प्राथमिक क्रियाएँ मानव सभ्यता का आधार हैं । और आज भी लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत हैं. ये मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की जाती है ।

प्राथमिक क्रियाएं के अंतर्गत आने वाले कार्य –

  • आखेट
  • भोजन संग्रह
  • पशुचारण
  • मछली पकड़ना
  • वनों से लकड़ी काटना
  • कृषि
  • खनन जैसे कार्य

प्राथमिक क्रियाए के अंतर्गत आने वाले प्रमुख देश –

भारत : कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन

चीन : कृषि और मत्स्य पालन ।

अफ्रीकी देश : खनन और वन्य उत्पाद।

दक्षिण अमेरिका : खनन और वानिकी ।

ऑस्ट्रेलिया : मछली पकड़ना, खनन ।

पशुचारण :

पशुचारण का तात्पर्य : “पशुओं का पालन-पोषण”। यह प्रक्रिया दूध, मांस, ऊन, चमड़ा और अन्य उत्पाद प्राप्त करने के लिए की जाती है।

पशुचारण के प्रकार

स्थायी पशुचारण :

इसमे पशुओ को एक ही स्थान पर स्थायी रूप से पाला जाता है जैसे : ग्रामीण क्षेत्रों मे ।(लगभग 40 प्रतिशत पशुओं की संख्या एशिया मे मिलती है । )

चलवासी पशुचारण :

 

वे पशुपालक जो अपने पशुओ को लेकर भोजन और पानी की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं उन्हे चलवासी पशुचारण कहते है।

चलवासी पशुचारण के प्रमुख क्षेत्र –

अफ्रीका, मंगोलिया और मध्यएशिया के चरवाहों में प्रचलित है। राजनीतिक सीमाओ का अधिग्रहण तथा नई आवासीय बस्तियों ने चरगाहों के क्षेत्र को घटा दिया ।

  • चारागाहों की खोज मे पशुचारक अपने पशुओ के साथ मैदानों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों मे तथा भिन्न जलवायु वाले प्रदेशों के बीच ऋतुवत आवागमन करते रहते है इसलिए इसे ऋतु प्रवास या मौसमी प्रवास कहा जाता है ।
  • भारत मे गुज्जर बकरवाल तथा भूटिया चरगाहों के समूह ऋतु प्रवास करते है।

वाणिज्य पशुधन पालन –

यह आधुनिक पशुपालन का एक रूप है जिसमे बड़े पैमाने पर एक ही प्रकार के पशु पाले जाते है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भेड़ पालन।

  •  इसमे पर्याप्त पूंजी तथा उन्नत तकनीकी होती है।
  • इसका उद्देश्य व्यावसायिक उत्पाद (जैसे दूध, मांस, ऊन आदि ) को बड़े बाजारों में बेचना होता है।

कृषि

प्राथमिक क्रियाओं के अंतर्गत कृषि एक महत्वपूर्ण हिस्सा है  यह मानव का सबसे पुराना और सबसे अधिक प्रचलित व्यवसाय है। उपजाऊ मृदा , अनुकूल जलवायु आदि सभी कृषि के विकास मे सहायक होती है।

कृषि के प्रकार- संसार के अलग अलग क्षेत्रों मे कृषि करने के विविध तरीके प्रचलित है-  

आधारिक कृषि (Subsistence Farming)

इस कृषि में किसान अपनी और अपने परिवार की जरूरतें को पूरी करने के लिए छोटी भूमि पर खेती करता है। इस कृषि के तहत होने वाले उत्पादों का मुख्यतः किसान के घर मे ही उपभोग कर लिया जाता है । जैसे (एक आम किसान की खेती )

आधारिक कृषि के अंतर्गत कई प्रकार के कृषि आते है जैसे –

  • प्रधान आधारित कृषि : इस कृषि मे मुख्य रूप से गेहू चावल की फसले उगाई जाती है।
  • स्थानांतरित कृषि : भूमि की उर्वरकता खत्म होने पर वृक्ष व झाड़ियों को काटकर उस स्थान को कृषि योग्य बनाना इस कृषि को भारत मे झूम कृषि कहते है । सघन आधारित कृषि जनसंख्या सघन के कारण छोटी भूमि पर अधिक उत्पादन करना तथा श्रम और खाद का अधिक प्रयोग किया जाता है।
  • सामुदायिक आधारित कृषि : इस प्रकार के कृषि मे जमीन और संसाधन समुदाय के होते है और कार्य और लाभ को आपस मे बाट लेते है।

व्यावसायिक कृषि (Commercial Agriculture )

व्यावसायिक कृषि मे फसलों को बड़े पैमाने पर उत्पाद किया जाता है । इसका मुख्य  उद्देश्य बाजार के लिए उत्पाद तैयार करके अधिक लाभ कमाना ।

बड़े पैमाने पर फसलों को उगाने के लिए इस कृषि मे अधिक पूंजी की लागत तथा आधुनिक तकनीकों की मशीनों का प्रयोग होता है।

व्यावसायिक कृषि के प्रमुख प्रकार –

रोपण कृषि

यह बड़े पैमाने पर लाभकारी तथा एकल प्रकार की कृषि है। इसका कृषि क्षेत्र बहुत विशाल होता है । इस कृषि मे अधिक पूंजी, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक पद्धतियाँ का प्रयोग होता है  तथा इसमे बड़े बड़े फार्म की स्थापना करके फसलों का उत्पादन किया जाता है। यह मुख्य रूप से भारत श्री लंका मलेशिया अफ्रीका। जैसे क्षेत्रों मे किया जाता है ।

रोपड़ कृषि फसल –  चाय, कॉफी, गन्ना, कपास, रबर कोको ,कहवा ,नारियल अनन्नास केला आदि कृषि को रोपण या बगनी कृषि कहते है ।

भारत और श्रीलंका मे चाय लगाने की शुरुवात ब्रिटेनवासियों ने शुरू किया था। फ्रांस ने पश्चिमी अफ्रीका मे काफी तथा कोकोय के बाग लगाने की शुरुवात की ।

विस्तृत व्यावसायिक कृषि

इस कृषि मे गेहूं, मक्का, राई, जई आदि अनाज उगाए जाते है। परंतु गेहू इसका मुख्य उत्पाद है । इस कृषि मे कम श्रम तथा मशीनों और यंत्रों का प्रयोग अधिक होता है ।

समशीतोष्ण घासभूमि क्षेत्र (जैसे, स्टेपीज, पंपास, आस्ट्रेलिया आदि ) इस कृषि के प्रमुख क्षेत्र है।

मिश्रत कृषि

मिश्रत कृषि के अंतर्गत फसल (जैसे अनाज, चारे वाली फसले आदि ) उत्पादन के साथ साथ  पशुपालन (भेड़ ,सुआर, मुर्गी आदि ) कार्य किए जाते है ।

संसार मे मिश्रत खेती : उत्तरी पश्चमी यूरोप , उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग , आर्जेन्टीन के पंपास क्षेत्र आदि क्षेत्रों  मे मिश्रित कृषि प्रचलित है।

डेयरी कृषि

डेरी फर्मिन एक प्रकार की विषशीकृत कृषि है जिसमे दूध देने वाले पशुओ के प्रजनन एवं उनके पालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है । इसमे विशेष रूप से अच्छी नस्ल की गायें पालि जाती है। जिनके दूध से बनाने वाला उत्पाद को व्यापारिक स्तर पर उत्पादन करके बेचा जाता है।

इसके प्रमुख क्षेत्र : कनाडा, न्यूजीलैंड, उत्तरी पश्चिमी यूरोपीय क्षेत्र, ब्रिटेन ,डेंमानर्क आदि  (यह विश्व का सबसे बड़ा डेरी कृषि क्षेत्र बन गया है।)

भूमध्य सागरीय कृषि

भूमध्य सागर के आसपास, कैलिफ़ोर्निया, दक्षिण अफ्रीका, और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों मे खट्टे फलों की खेती किया जाता है यह क्षेत्र अंगूर ,जैतून तथा खट्टे रसदार फलों के उत्पादन का स्वर्ग कहलता है, इस क्षेत्र मे अंगूर से शराब,किसमिश तथा जैतून का तेल,  बनाए जाते है।

ट्रक कृषि

उद्यान कृषि के उत्पादित सब्जियों , फलों एवं फूलों के परिवहन मे बड़े पैमाने पर ट्रकों के इस्तेमाल किए जाने के कारण इस खेती को ट्रक फर्मीग कहा जाता है।

टमाटर, प्याज, आलू, गाजर, सलाद पत्ते, फूल आदि इसके उदाहरण है। बाजार की मांगे पूरा करना तथा ताजा सब्जी पहुचना इसका उद्देश्य होता है । (भारत उन देशों मे से एक है जहा पर सुबह ताजा सब्जी प्राप्त होती है ।)

(नोट : संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग , इंग्लैंड ,फ्रांस , आदि मे बड़े पैमाने पर ट्रंक फर्मीग की जाती है )

सहकारी और सामूहिक कृषि

सहकारी कृषि और सामूहिक कृषि दोनों का उद्देश्य संसाधनों के उपयोग तथा सामाजिक लाभ है। सहकारी कृषि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और योगदान आधारित लाभ पर केंद्रित होती है, सहकारी संस्था अपने सदस्य कृषकों की हर प्रकार से सहायता करती है। डेनमार्क मे यह कृषि प्रणाली अधिक सफल रही । भारत (आंशिक रूप से होता है )

जबकि सामूहिक कृषि पूर्ण सामूहिकता और समानता पर जोर देती है। दोनों प्रणालियां भौगोलिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर अपनाई जाती हैं।

चीन रूस क्यूबा जैसे देशों मे यह विधि अपनाया जाता है।

सहकरी कृषि में व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है लेकिन सामूहिक कृषि पूर्ण सामूहिकता पर आधारित होती है।

खनन

भूमि मे अयस्क को खोदकर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है। यह क्रिया प्राथमिक क्रिया का प्रमुख हिस्सा है

खनन की विधियाँ – 

धरातलीय खनन  

धरातल या सतह पर स्थित आयस्कों को निकालने की प्रक्रिया को धरातलीय खनन कहते है । इस खनन मे कम लागत , मिट्ठी और वनो का क्षरण अधिक होता है इससे पर्यावरण को अधिक प्रभाव पड़ता है।

भूमिगत खनन

धरातल के नीचे सुरंग बनाकर खनिज पदार्थों को बाहर निकालना भूमिगत खनन कहलता है इस खनन मे अधिक लागत तथा खतरा अधिक होता है।खुदाई के दौरान सोना, हीरा जैसे अयस्क निकले जाते है।

निष्कर्ष –

प्राथमिक क्रियाएँ (जैसे कृषि, पशुपालन, खनन आदि) मानव जीवन और अर्थव्यवस्था का आधार हैं। यह क्रियाएँ हमें आवश्यक संसाधन और रोजगार प्रदान करती हैं।अतः क्रिया मानव समाज और अर्थव्यवस्था का मूलभूत हिस्सा हैं।

 

अगर आप भी प्राथमिक क्रियाओं और सतत विकास में रुचि रखते हैं, तो जागरूकता फैलाएँ और इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दें।

class-12-geography-chapter-3-मानव-विकास

 

 

 

 

 

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