Class 12 geography chapter 5 notes in Hindi,
द्वितीयक क्रियाएँ क्या है ?
कच्चा माल को परिवर्तन करके उपयोगी और मूल्यवान बनना ।
आपने कभी क्या अनुभव किया है? कि हम अपने दैनिक विशिष्ट मे जिन पदार्थ, सामान या खाद्य पदार्थ जैसे – कपड़ा, कुर्सी , किताब, ग्लोब, कंप्युटर, चिप्स, बस, वायुयान आदि को देखते या उपयोग करते हैं। इन्हें बनने की प्रक्रिया क्या कहते है?
उत्तर : द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं।
अब सवाल होगा कि इनका निर्माण किस प्रकार से होता है?
उत्तर : आप प्राथमिक क्षेत्र (जैसे कृषि, खनन, आदि) के बारे में जानते हैं।
आप प्राथमिक क्रियाओं (जैसे कृषि ,खनन ,आदि ) के बारे मे जानते है , इस क्रियाओं से प्राप्त कच्चे माल को प्रसंस्करण तकनीकों के माध्यम से उपयोगी और मूल्यवान बनने की प्रक्रिया होती है। इसी को द्वितीयक क्रिया या विनिर्माण कहते है।
प्राथमिक क्रियाएँ
- कृषि, खनन, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से कच्चा माल या उत्पाद प्राप्त करना। प्राथमिक क्रिया के अंतर्गत आता है।
उदाहरण: खेत से: आलू, टमाटर, और उत्पाद आदि।
खनन से: कोयला, लौह अयस्क और सोना आदि।
इन कच्चे मालों की कंपनी और तकनीकी के माध्यम से उपयोगी और मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तन या परिवर्तन। द्वितीयक क्रिया के अंतर्गत आता है।
उदाहरण के माध्यम से समझें –
- आलू से चिप्स में बदलना
- टमाटर से सॉस बनना ।
- लकड़ी से फर्नीचर मे बदलना
- कपास को कपड़ा मे बदलना ।
- लौह अयस्क को इस्पात मे बदलना ।

विनिर्माण :
इसका मुख्य उदेश्य कच्चे माल को विभिन्न उत्पादों मे बदलना ।
विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण – विनिर्माण उद्योगों को उनके उत्पाद , क्षेत्र , तकनीकी के आधार पर निम्न वर्गों मे बाटा जा सकता है।
आकर के आधार पर उद्योग
- कुटिल उद्योग
- छोटे पैमाने के उद्योग
- बड़े पैमाने के उद्योग
कच्चे माल के आधार उद्योग पर
- कृषि आधारित उद्योग
- खनिज उद्योग पर आधारित उद्योग
- रासायनिक रसायन विज्ञान पर आधारित उद्योग
- वनों पर आधारित उद्योग
- पशु आधारिक उद्योग
उद्योग पर उत्पाद का आधार
-
- वर्गीकरण उद्योग
- वस्तु उपभोक्ता उद्योग
स्वामित्व के आधार पर उद्योग
- क्षेत्र सार्वजनिक
- निजी क्षेत्र
- संयुक्त क्षेत्र
आकार के आधार पर उद्योग :आकार के आधार पर कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता, निवेश (खर्चा), श्रम शक्ति (मजदूरी) के बड़े पैमाने पर आधार पर काम करती हैं। जो निम्नवत है-
कुटीर उद्योग या लघु उद्योग
छोटी इकाई के रूप में तथा कम लागत में परिवार के सदस्यों के द्वारा घर पर कच्चे माल का उपयोग करके हाथ या छोटी मशीनों के माध्यम से उत्पादन करने की व्यवस्था कुटीर उद्योग कहलाता है।
जैसे: खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, मिट्टी के बर्तन, आदि बनते हैं।
- भारत मे प्रमुख कुटिल उद्योग।
- बनारस की रेशम बस्ती, राजस्थान के हस्तशिल्प, कश्मीरी ऊनी वस्त्र ।
- अन्य देशों मे कुटिल उद्योग
- चीन के हस्तशिल, इंडोनेशिया के वस्त्र आदि।
छोटे पैमाने के उद्योग
- ये उद्योग कुटिल और बड़े उद्योग के बीच आते हैं। घर या घर के बाहर छोटे पैमाने के उद्योग में काम की स्थिति, श्रम करके शक्ति के उपकरण का प्रयोग छोटे पैमाने के स्तर पर उत्पादन करने वाले उद्योग छोटे पैमाने के उद्योग कहलाते हैं।
- यह उद्योग रोजगार मे सक्षम होता है । भारत, चीन, इंडोनेशिया और ब्राजील आदि देशों ने अपने विशाल जनसंख्या को रोजगार देने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर उद्योग का विकास किया है।

बड़े पैमाने के उद्योग
- जिन विशाल औद्योगिक इकाइयों में उद्यम, कुशल श्रम शक्ति के उपकरण बड़े पैमाने पर मशीनरी या कारखाने, परिवहन, संचार, आदि का उपयोग व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन करके अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्षेत्र में व्यापार किया जाता है।
- यह उद्योग भारी जनसंख्या मे रोजगार उत्पन्न करता है।
- जैसे: लोहा और औद्योगिक उद्योग, विनिर्मित उद्योग, रसायन उद्योग, कोयला उद्योग, खनिज तेल उद्योग, इंजीनियरिंग और मशीन-यंत्र उद्योग आदि।
- प्रमुख देश: ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, रूस, भारत आदि देशों में औद्योगीकरण से बड़े पैमाने पर कंपनियों का विकास हो चुका है।
- प्रमुख कंपनियों के नाम: टाटा मोटर्स महिंद्रा इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) आरसीएफ (राष्ट्रीय रसायन और लिमिटेड) आदि।

कच्चा माल आधारित उद्योग
कृषि पर आधारित उद्योग – कृषि उत्पादों को विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से तैयार करने वाले उद्योग कृषि आधारित उद्योग कहते हैं।
जैसे: चीनी, चाय, कहवा , सूती रेशमी,आचार, मसाले आदि यह उद्योग इस श्रेणी में आते है।
खनिज आधारित उद्योग – लौह अंश वाले तथा अन्य धात्विक खनिजों के उपयोग से उत्पाद बनाने वाले उद्योग खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं।
जैसे:
लोहा इस्पात , एलुमिनियां , तांबा उद्योग , सीमेंट उद्योग , चीनी मिट्टी कांच के बर्तन आदि।
रासायनिक उद्योग – इस प्रकार के रसायनिक पदार्थ मे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रसायनिक पदार्थ (खनिजों) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे: पेट्रोरसायन उद्योग, नामक, गंधक, कृत्रिम रेशा प्लास्टिक, पोटाश आदि।
प्रमुख कंपनी: इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड
वनों पर आधारित उद्योग : यह उद्योग मुख्य रूप से वनों पर आधारित होता है, इसमे
वनों से प्राप्त लकड़ी से विभिन्न प्रकार की लकड़ी का निर्माण किया जाता है।
जैसे: फर्नीचर, कागज , लकड़ी आदि।
पशुओ पर आधारित उद्योग :
पशुओ से प्राप्त चमड़े ऊन हाथी के दात आदि पर आधारित उद्योग पशुओ पर आधारित उद्योग कहलाते है ।
उत्पाद आधारित उद्योग : उपभोक्ता जिन वस्तुओं को तैयार करता है, जैसे साबुन, ब्रूस, टुटपेस्ट, टीवी आदि ।
उद्योग के स्वामित्व के आधार पर:
उद्योगों को उनके मालिकाना हक के आधार पर वर्गीकृत करना । यह स्पष्ट करता है की कॉम्पनी पर किसका हक या स्वामित्व है । सरकार का , या किसी निजी व्यक्ति का या निजी यक्ति और सरकार की साझेदारी।
इस आधार पर इसे मुख्य रूप से तीन वर्गों से बाटा गया है –
सार्वजनिक क्षेत्र : वे सभी कंपनियां जिस पर सरकार का नियंत्रण है, उसे सार्वजनिक उद्योग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य खोज और देश के विकास के लिए सेवाएँ प्रदान करना है।
जैसे:
विभागीय उद्यम :
रेल विभाग ।
डाक एवं तार विभाग ।
स्टील अथरीति आफ इंडिया ।
भारतीय तेल निगम आदि ।
।
निजी क्षेत्र :
ऐसी कॉम्पनीय जिन पर किसी निजी व्यक्ति का नियंत्रण होता है या जो उस कॉमनीय के मालिक होते है। उन्हे निजी क्षेत्र कहते है।
जैसे: भारत में टाटा कंपनी के मालिक “रतन टाटा” जी हैं। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा ग्रुप, विप्रो आदि। इसका मुख्य उद्देश्य होता है सर्वोत्तम आदेश।
संयुक्त क्षेत्र : इ
इनका संचालन सरकार व निजी कंपनियों के बीच साझेदारी होता है । उन्हे संयुक्त क्षेत्र कहते है ।
जैसे : ओएनजीसी (ONGC), एनएचपीसी (NHPC)।
दोस्तों आशा है आपको Class 12 geography chapter 5 notes in Hindi (विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व, और वृद्धि ) का यह अध्याय को समझने मे आसानी हुआ होगा ।