Class 6 History chapter 1 Notes

 अध्याय 1                 प्रारम्भिक कथन : क्या कब कहाँ और कैसे ?        

 

Class 6 History chapter 1 Notes

परिचय 

Class 6 History chapter 1 Notes   क्या कब कहा और कैसे ?  ये प्रश्नवाचक शब्द इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है?

विशेष रूप से यह अध्याय आज से हजारों साल पहले की दुनिया के इतिहास को समझाने का  प्रयास इन शब्दों के ( क्या कब कहा और कैसे ) द्वारा करती है।

जैसे –

अगर हम अपने आस पास की स्थितियों को देखे,

संसाधन – गाड़ी, सड़क, रेल अन्य

समाज – आज का समाज कैसा  है क्या किसी के साथ भेद भाव हो रहे है ?

संस्कृति – धर्म, मान्यताए,

सोचिए –  की आज जो परिस्थतियाँ हमे देखने को मिलती है। क्या ये परिस्थतियाँ हजारों साल पहले मौजूद थी । क्या उस दौर मे इतने  संसाधन, परिवहन, इंटरनेट आदि का प्रचलन था ।

आपके दादा जी जरूर आपको अपने समय की किस्से और  कहानिया जरूर सुनाई होगी, की उनके समय मे क्या क्या व्यवस्था उपलब्ध थी, जैसे वो लोग बैलगाड़ी या पैदल चलते थे ।  यह अध्याय कुछ इस प्रकार से ही है जो हमे जानकारीया प्रदान करता है की आज से हजारों साल पहले क्या होता होगा ?

अध्याय हमे क्या बताने वाला है?

अतीत काल मे लोग कहा रहते थे ?

क्या खाते थे ?

किस तरह के घर मे रहते थे ? 
क्या वो लोग किसी भाषा का प्रयोग करते थे ?

यह पाठ इत्यादि तरह के प्रश्नों का समावेश करता है?

इस अध्याय मे कवर किया जाने वाला बिन्दु

  • कुछ महत्वपूर्ण शब्द
  • अतीत के बारे मे हम क्या जान सकते है ?
  • अतीत के बारे मे कैसे जाने ?
  • लोग कहा रहते थे ?
  • देश का नाम इंडिया कैसे पड़ा ?
  • तिथियों को कैसे समझे ?
    
    
    कुछ महत्वपूर्ण शब्द 
    
    अतीत किसे कहते है ?  

अतीत वह समय दर्शाता है  जो बीत चुका है – अर्थात हमारे अपने जो हमसे हजारों साल पहले आए और चले भी गए ।

उदाहरण के लिए –  चन्द्रगुप्त मौर्य, महारणा प्रताप का ये सभी हमारे अतीत के हिस्सा है।

कहा भी जाता है  अतीत काल मे भारत सोने की चिड़िया कही जाती थी ।

पांडुलिपि क्या है ?

अतीत काल के समय मे कागज का दौर  नही था । तो लोग पुस्तकों या ग्रंथों को हाथ से किसी ताड़पत्र, भोजपत्र, पर लिखते थे, जिन्हे पांडुलिपि कहते है

उदाहरण – प्राचीन काल मे धार्मिक ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत को  तड़पत्रों पर लिखते थे ।

अभिलेख क्या होते है?

अभिलेख उन्हे कहते है जो किसी पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे या लिखे होते है।  अभिलेख मुख्य रूप से जनता के पास राजा या सरदार  के विचार,  या उपलब्धियों को लिखे  जाते थे ।

पुरातत्वविद एवं इतिहासकार कौन होते है ?

 

पुरातत्वविद

 

अर्थ – वे लोग को खुदाई करके पुराने वस्तुओ जैसे बर्तनों, मूर्तियों, औजारों एवं अन्य साक्ष्यों की खोज कर उनके बारे मे जानकारीया निकलते है। उन्हे पुरातत्वविद कहा जाता है ।

सोचिए

  • आपके पिता जी ने आपको एक रुपए का सिक्का दिया । 
  • आप उसे देखे और समझे की वह सिक्का किस धातु का बना है ?
  • उसमे कैसे चित्र प्रदर्शित किए गए है, एवं अन्य जानकारीया आप खुद से निकालने का प्रयास करे । 

इतिहासकार

जो लोग पुराने साक्ष्यों जैसे – दस्तावेज, अभिलेखों और अन्य वस्तुओ का अध्याय करते है, उन्हे इतिहासकार कहते है।

आप जिस किताब को पढ़ रहे है इसे भी किसी इतिहास कर ने लिखा होगा ।

 

अतीत के बारे मे हम क्या क्या जान सकते है ?

  • हम अतीत के बारे मे बहुत कुछ जान सकते है जैसे– 
  • अतीत मे लोग क्या खाते थे ?
  • प्राचीन काल मे लोग कहा रहते थे ?
  • प्राचीन काल के शिकारियों (आखोंटकों ), पशुपालकों (पशुओ को पालने वाला ), कृषकों , व्यपरियों , शिल्पकारों, शासकों जैसे व्यवस्थाओ के बारे मे जान सकते है।

प्राचीन काल की जानकारी कैसे मिलती है ?

  • अतीत किसे कहते है? एवं हम उनके बारे मे क्या क्या जान सकते है? इसके बारे मे ऊपर समझ चुके है।
  • लेकिन हमे उनके बारे मे जानकारी कैसे मिलती है?
  • अर्थात – हम सभी जानते है की प्रारंभ मे पृथ्वी अत्यधिक गर्म थी, एवं मानव का प्रारम्भिक विकास बंदर से हुआ,
  • सवाल ये बनता है – इसकी जानकारी कैसे प्राप्त हुई?

सोचिए

क्या उस समय इंटरनेट, विडिओ रिकार्डिंग, आदि व्यवस्था थी जिसके माध्यम से हमे ज्ञात होता है । नही अतीत काल मे इस प्रकार के संसाधन उपलब्ध नही थे। फिर जानकारी कहा से आई ?

अतीत की जानकारी निम्नलिखित स्रोतों से ज्ञात करते है

प्राचीन काल मे लोगों के द्वारा उपयोग की जा रही वस्तुए जैसे –

  • हड्डीया,
  • औजार,
  • रेखाचित्र
  • वस्तुए,
  • आभूषण,
  • सिक्के,
  • कपड़े,
  • लिखी गई किताबे , धार्मिक पुस्तक (रामायण, महाभारत, बौद्ध और जैन ग्रंथ )
  • अभिलेख
  • पांडुलिपि

ये सभी पुरातात्विक स्रोत अपने अपने समय के दौरान प्रचलित हुआ करती थी।

 

प्रारंभ मे मानव भोजन के लिए कंद मूल फल, पशुओ के माँस आदि पर आधारित थे,

समय के अनुसार परिवर्तन हुआ तथा लोगों ने कृषि करना प्रारंभ किया ।

खुदाई के दौरान हाड़ियों के साक्ष्य, कुछ पत्थर, रेखा चित्र आदि से ज्ञात होता है की प्रारंभ मे मानव इन स्रोतों पर आधारित था ।

प्राचीन कल मे (अतीत कल मे ) लोग कहा रहते थे ?

क्या आपने कभी गौर किया, की जनसंख्या विशेष रूप से नदियों के किनारे बसा करती है,

ऐसा क्यों अपने आप से पूछिए ?

सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के आस पास का स्थान

  • सहायक नदिया उसे कहते है जो एक बड़ी नदी मे मिल जाकर मिल जाती है।
  • इन क्षेत्र मे आज से लगभग 4700 वर्ष पूर्व कुछ नगरों का विकास हुआ । इन नगरों के बारे मे आगे पढ़ेंगे ।

 

गंगा तथा इसकी सहायक नदियों के आस पास के क्षेत्र

 

गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के किनारे बसने वाले प्रमुख स्थान धार्मिक रहे है।  जैसे काशी, हरिद्वार आदि । 

इन नदी की सहायक “सोन नदी”, के क्षेत्र पर प्राचीन काल के युग मे मगध साम्राज्य का उदय हुआ ।

मगध जो आज के बिहार मे उपस्थित है। मगध साम्राज्य की जानकारी हम आगे आने वाले अध्याय मे पढ़ेंगे ।

नर्मदा नदी के आस पास का क्षेत्र

 

लाखों वर्ष पूर्व से ही लोग इस नदी के तट पर रहते आ रहे है। प्रारंभ मे इस स्थान पर निवास करने वाले लोग कुशल संग्राहक थे। जो भोजन को संग्रह करके रखा करते थे ।

उत्तर पश्चिम की सुलेमान और किरथर पहाड़ियों वाला जगह

 

माना जाता है लगभग आठ हजार वर्ष पूर्व इस क्षेत्र मे स्त्री पुरुषों ने सबसे पहले गेहू तथा जौ, जैसी फसलों को उपजाना आरंभ किया । एवं उन्होंने भेड़ बकरी और गाय बैल पशुओ को पालतू बनाना शुरू किया ।

उत्तर पूर्व मे गारो तथा मध्य भारत मे विंध्य पहाड़ियों का पता लगाओ

 

ये कुछ अन्य क्षेत्र थे जहा कृषि का विकास हुआ। जहा सबसे पहले चावल उपजाया गया वे स्थान विंध्य के उत्तर मे स्थित थे।

 

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